व्यक्ति को जीवन में अनेक प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पडता है। ये चुनौतियाँ हमारे लिए एक प्रकार का उपहार लेकर आतीं हैं। इसी प्रकार की चुनौतियाँ आज हमारे समाज तथा क्षेत्र में व्याप्त हैं।इन्हीं चुनौतियों को उपहार के रूप में स्वीकार करने के लिए हमने जयोत्री एकेडमी का निर्माण किया। इस क्षेत्र में अशिक्षा के अंधकार को मिटाने तथा गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान की प्रेरणा मुझे अपने पूज्य पिताजी स्व. श्री जयगोपाल पोरवाल तथा माता पूजनीया स्व. श्रीमती गायत्री पोरवाल से मिली।
उपरोक्त बातों को ध्यानमें रखते हुए हमने अपनी माताजी तथा पिताजी के नाम को संयुक्त करके इस विद्यालय का नामकरण कियाहै। कालान्तर में ये सुनाम ही हमें तथा हमारे विद्यालय परिवार को सदैव प्रेरणा प्रदान करता रहेगा।जैसा कि आप सभी जानते हैं कि किसी कार्य को करने के लिए जितना अधिक संघर्श करना पङता है। परिणाम की सफलता भी उतनी शानदार होतीहै।चुनौतियाँ जलते हुए अंगारे के समान होती हैं। सोना शुद्ध करने के लिए उसे अग्नि में तपाया जाता है। तपने के बाद शुद्ध सोने की प्राप्तिहोती है। इसी प्रकार कठिनाइयों से तपा हुआ व्यक्ति ही सफलता के बाद पूर्ण व्यक्तित्व का आयाम लेकर समाज को सुंदर दिशा देता है।
मनोज पोरवाल
पूर्व चेयरमेन भरथना
संरक्षक
जयोत्री एकेडमी